hanuman chalisa Options
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Amongst Hindus around the world, it is a very talked-about belief that chanting the Chalisa invokes Hanuman's divine intervention in grave complications.
व्याख्या – गुरुदेव जैसे शिष्य की धृष्टता आदि का ध्यान नहीं रखते और उसके कल्याण में ही लगे रहते हैं [ जैसे काकभुशुण्डि के गुरु], उसी प्रकार आप भी मेरे ऊपर गुरुदेव की ही भाँति कृपा करें ‘प्रभु मेरे अवगुन चित न धरो।’
You have got the essence of Ram bhakti, may possibly You usually stay the humble and devoted servant of Raghupati.
मंगलवार, शनिवार के अलावा हनुमान जयंती, राम नवमी और नवरात्रे जैसे शुभ अवसरों पर भी आप हनुमान जी को समर्पित यह सभी पाठ कर सकते है। हनुमान चालीसा लिरिक्स को महान संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है।
सुग्रीव बालि के भय से व्याकुल रहता था और उसका सर्वस्व हरण कर लिया गया था। भगवान् श्री राम ने उसका गया हुआ राज्य वापस दिलवा दिया तथा उसे भय–रहित कर दिया। श्री हनुमान जी ने ही सुग्रीव की मित्रता भगवान् राम से करायी।
भावार्थ – श्री गुरुदेव के चरण–कमलों की धूलि से अपने मनरूपी दर्पण को निर्मल करके मैं श्री रघुवर के उस सुन्दर यश का वर्णन करता हूँ जो चारों फल (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को प्रदान करने वाला है।
व्याख्या – श्री हनुमान जी कपिरूप में साक्षात् शिव के अवतार हैं, इसलिये यहाँ इन्हें कपीश कहा गया।
It can be your decision; there isn't any precise rule to reciting Hanuman Chalisa. The more you repeat, the more you develop into close to Lord Hanuman. Your head ought to generally be 100% focused on the Chalisa though reciting to expertise the grace of God.
भावार्थ– आप साधु–संत की रक्षा करने वाले हैं, राक्षसों का संहार करने वाले हैं और श्री राम जी के अति प्रिय हैं।
भावार्थ – माता जानकी ने आपको वरदान दिया है कि आप आठों प्रकार की सिद्धियाँ (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) और नवों प्रकार की निधियाँ (पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुन्द, कुन्द, नील, खर्व) प्रदान करने में समर्थ होंगे।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥ जय जय read more जय हनुमान गोसाईं ।
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दक्षिण भारत की प्रदिद्ध बाल गायिका सूर्यगायत्री के मुख से हनुमान चालीसा पाठ
व्याख्या—इस चौपाई में श्री हनुमन्तलाल जी के सुन्दर स्वरूप का वर्णन हुआ है। आपकी देह स्वर्ण–शैल की आभा के सदृश सुन्दर है और कान में कुण्डल सुशोभित है। उपर्युक्त दोनों वस्तुओं से तथा घुँघराले बालों से आप अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।